परिसर
मुख्य परिसर
| प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान
भाट गांव, इंदिरा ब्रिज के पास,
गांधीनगर-382428
गुजरात-भारत
टेलीफोन: +91-79-23962000
फैक्स : +91-79-23962277
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आईपीआर
प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान, गुजरात, गाँधीनगर में साबरमती नदी के तट पर इंदिरा ब्रिज के पास भाट गाँव,) एक शांत एवं हरे-भरे परिसर में स्थित है। इसे प्लाज़्मा विज्ञान एवं प्रौद्योगोकी में अनुसंधान के अधिदेश के साथ 1986 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान के रूप में स्थापित किया गया। संस्थान तेज़ी से आगे बढ़ा और 1995 में परमाणु ऊर्जा विभाग (पऊवि) की प्रशासनिक छत्रछाया के अंतर्गत आ गया। इतने वर्षों में आईपीआर ने सैद्धान्तिक प्लाज़्मा भौतिकी, कंप्यूटर मॉडलिंग एवं सिमुलेशन, सुपरकन्डक्टिंग चुम्बक तथा क्रायोजेनिक्स, अति-उच्च निर्वात प्रौद्योगिकी, परिष्कृत प्लाज़्मा डायगनॉस्टिक प्रणाली, आरएफ एवं न्यूट्रल बीम हीटिंग प्रणाली, उच्च वोल्टेज इंजीनियरिंग प्रणाली, स्पंदित शक्ति प्रणाली, कंप्यूटर आधारित नियंत्रण एवं डाटा संग्रहण तथा औद्योगिक, पर्यावरणीय एवं महत्वपूर्ण प्लाज़्मा उपकरणों आदि का विकास जैसे उन्नत क्षेत्रों में दक्षता विकसित की है। लगभग 400 वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों की एक बहु-विषयक टीम इन प्रयोगों को कर रही है।
| एफसीआईपीटी (FCIPT)
औद्योगिक प्लाज़्मा प्रोद्योगिकी सुविधा केन्द्र,
प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान(आईपीआर),
गांधीनगर-382428
गुजरात-भारत
टेलीफोन: +91-79-23269000
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औद्योगिक प्लाज़्मा प्रोद्योगिकी सुविधा केन्द्र, प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान(आईपीआर), गांधीनगर को उद्योगों से जोड़ता है। सामग्री प्रोसेसिंग एवं पर्यावरण सुधार के लिए उन्नत एवं गैर पारंपरिक प्लाज़्मा आधारित तकनीकियों के निर्माण के लिए प्लाज़्मा विज्ञान एवं संबद्ध तकनीकियों में ज्ञानाधार का उपयोग किया जाता है।
आईपीआर परमाणु ऊर्जा विभाग (पऊवि), भारत सरकार के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान है। यह विशेष रूप से प्लाज़्मा विज्ञान में मौलिक अनुसंधान और तकनीकी अनुप्रयोगों के विकास के लिए समर्पित है। चुंबकीय परिरोध संलयन एवं प्लाज़्मा द्वारा सामग्री प्रोसेसिंग पर विशेष बल दिया जाता है।
एफसीआईपीटी, अवधारणा से व्यवसायीकरण तक प्लाज़्मा प्रोसेसिंग प्रौद्योगिकियों का विकास करता है और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, समाचात्र पत्र और प्रत्यक्ष विपणन के माध्यम से प्रौद्योगिकी के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देता है।
एफसीआईपीटी, ISO 9001:2000 (2008) द्वारा प्रमाणित संस्थान है।
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प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान
A-29 GIDC इलेक्ट्रॉनिक एस्टेट, सेक्टर—25
गांधीनगर – 382 016, गुजरात, भारत
फोन : +91-79-23269500, 23269603
फैक्स: +91-79-23269501
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इटर का निर्माण, प्रतिभागी देशों द्वारा अधिकतर इन-काइंड योगदान के माध्यम से किया जाएगा, जो पार्टियों द्वारा निर्मित घटकों के रूप में होगा और इन घटकों को इटर में डिलीवर/स्थापित किया जाएगा।
इटर-भारत एक भारतीय डोमेस्टिक एजेंसी (डीए) है, जिसका दायित्व इटर को भारत का योगदान प्रदान करना है।
इटर का निर्माण सात भागीदार देशों के इन-काइंड योगदान से किया जाएगा, यानि ये देश उचित रूप से गठित डोमेस्टिक एजेंसी (डीए) और उद्योगों के माध्यम से इटर के घटकों का अपना हिस्सा बनाएंगे और डिवाइस की फाइनल असेंबली के लिए उन्हें इटर में पहुंचाएंगे। मेजबान यूरोप को छोड़कर भारत अन्य सहयोगियों की तरह इटर निर्माण लागत का लगभग 9.1% योगदान देगा (यूरोप लगभग 45% कीमत अदा करेगा)। ये योगदान अधिकतर भारतीय उद्योग द्वारा निर्मित घटकों के रूप में होंगे, जिन्हें इटर को सुपुर्द किया जाएगा। इटर इंटरनेशनल टीम द्वारा नकद खरीद के लिए केवल एक छोटे से हिस्से (~ 1%) का सामान्य निधि में नकद में भुगतान किया जाएगा। इटर-भारत एक भारतीय डोमेस्टिक एजेंसी है, जिसे भारत के हिस्से के पैकेजों को इटर को सुपुर्द करने के लिए गठित किया गया है।
सीपीपी-आईपीआर (CPP-IPR)
प्लाज़्मा भौतिकी केन्द्र –प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान(सीपीपी-आईपीआर)
नजिरखत, तेपेसिया,
सोनापुर- 782402
कामरूप(एम), असम, भारत
टेलीफोन: +91 9957566947(कार्यालय)
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प्लाज़्मा भौतिकी केंद्र - प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान (सीपीपी-आईपीआर), प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान (आईपीआर), गांधीनगर, गुजरात का एक अनुसंधान केंद्र है, जो भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग (पऊवि) का एक स्वायत्त संस्थान है।
आरंभ में यह केंद्र 1991 में असम सरकार की एक परियोजना के रूप में वैज्ञानिकों के एक छोटे समूह के साथ गठित किया गया और 29 मई, 2009 तक इस केंद्र ने असम सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान के रूप में कार्य किया। इसके पश्चात् यह संस्थान परमाणु ऊर्जा विभाग, भारत सरकार के अंतर्गत प्लाज़्मा अनुसंधान संस्थान के एक केंद्र के रूप में लिया गया।